वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जरिये अप्रत्यक्ष करों की चोरी पर लगाम लगाने के बाद केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष कर में सुधार की ओर कदम बढ़ाया है। इसके तहत अब ऑडिटरों को अपने क्लाइंट की ओर से आयकर विभाग में दर्ज किए जानेवाले रिटर्न में अचल संपत्ति के लिए 20 हजार रुपये से अधिक के हर लेन-देन की जानकारी मुहैया करानी होगी। इससे लेन-देन में पारदर्शिता बढ़ेगी और कर चोरी पर अंकुश लगेगा। वित्त वर्ष 2016-17 से लागू यह बदलाव 19 जुलाई, 2017 से अमल में आएगा।आयकर रिटर्न के साथ फाइल की जाने वाली ऑडिट टैक्स रिपोर्ट के लिए फार्म 3सीडी में संशोधन किया गया है, ताकि अचल संपत्ति के लिए 20 हजार रुपये से अधिक के हर लेन-देन को निर्धारित फार्मेट में दर्ज किया जा सके। ऑडिटर रिपोर्ट में कर्ज लेने वाले या जमाकर्ता का नाम, पता और स्थायी खाता संख्या (पैन) के साथ भुगतान के तरीके की भी विस्तृत जानकारी देनी होगी यानी यह बताना होगा कि भुगतान के लिए एकाउंट पेयी चेक या बेयरर चेक का इस्तेमाल किया गया है या फिर उसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अंजाम दिया गया है। अब तक की व्यवस्था के अनुसार ऑडिटर को अचल संपत्ति के लोन या पुनर्भुगतान के मामले में 20 हजार रुपये से ज्यादा के लेन-देन की सिर्फ जानकारी देनी होती थी, लेकिन अब हर ऐसी जानकारी को तय फार्मेट में भरना होगा। गौरतलब है कि आयकर कानून के तहत सालाना 50 लाख रुपये की कमाई करने वाले पेशेवरों और एक करोड़ रुपये से ज्यादा टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए अपने खातों का ऑडिट कराना अनिवार्य है। कंपनियों के मामले में आकलन वर्ष 2018-19 से टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई है।
सोनार GST का विरोध क्यो कर रहा है
मान लीजिये आप सुनार के पास गए आपने *10 ग्राम प्योर सोना 30000 रुपये का खरीदा।*
उस सोने को लेकर आप सुनार के पास हार बनवाने गए। सुनार ने आपसे 10 ग्राम सोना लिया और कहा की 2000 रुपये बनवाई लगेगी।
आपने *खुशी* से कहा ठीक है। उसके बाद सुनार ने *1 ग्राम सोना निकाल लिया* और 1 ग्राम का *टांका* लगा दिया। क्योंकि बिना टांके के आपका हार बन ही नहीं सकता।
*यानी की 1 ग्राम सोना 3000 रुपये का निकाल लिया* और 2000 रुपये आपसे *बनवाई अलग से* लेली।
यानी आपको *5000 रुपये का झटका* लग गया। अब आपके *30 हजार* रुपये सोने की कीमत मात्र *25 हजार* रुपये बची और सोना भी *1 ग्राम कम कम हो कर 9 ग्राम शेष बचा ।*
बात यहीं खत्म नही हुई। उसके बाद *अगर* आप पुन: अपने सोने के हार को बेचने या कोई और आभूषण बनवाने पुन: उसी सुनार के पास जाते हैं तो वह पहले टांका काटने की बात करता है और सफाई करने के नाम पर *0.5 ग्राम सोना* और कम हो जाता है।
अब आपके पास मात्र *8.5 ग्राम* सोना ही बचता है। यानी की *30 हजार* का सोना मात्र *23500* रुपये का बचा।
आप जानते होंगे कि,
*30000 रुपये का सोना + 2000 रुपये बनवाई = 32000 रुपये ।*
*1 ग्राम का टांका कटा 3000 रुपए + 0.5 ग्राम पुन: बेचने या तुड़वाने पर कटा मतलब सफाई के नाम पर = 1500/=*
*शेष बचा सोना 8.5 ग्राम*
*यानी कीमत 32000 - 6500 का घाटा = 25500 रुपये*
*भारत सरकार की मंशा क्या है ?*
*GST* लगने पर सुनार को रसीद के आधार पर उपभोक्ता को पूरा सोना देना होगा।
और जितने ग्राम का टांका लगेगा उसका सोने के तोल पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जैसा कि आपके सोने की तोल *10 ग्राम* है और टाका *1 ग्राम* का लगा तो सुनार को रसीद के आधार पर *11 ग्राम* वजन करके उपभोक्ता को देना होगा। इसी लिए सुनार हड़ताल पर है कि अब उनका *धोखाधड़ी* का *भेद* खुल जायेगा
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