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Sunday, 25 June 2017

जीवन मे योग

        योग का शाब्दिक अर्थ जोड अर्थात जोडने से है जिस प्रकार एक एक बूँद जोडने से घडा भर जाया है वैसे ही मानव जीवन की हर श्वास उस बूँद के समान है जिससे घडा भरता है
      जब श्वास का जोड़ मन शरीर और प्रकृति से जिस अभ्यास या साधना से सम्भव हो तो ऐसे साधना अभ्यास को योग कहते है
         मन शरीर और प्रकृति को जोड़ने से हमारे शरीर मे एक विशेष प्रकार की ऊर्जा का संचार होता है इससे जीवनी शक्ति जहाँ बड़ती है वही मन मे शान्ति और शरीर तनाव मुक्त हो जता है
        योग रूपी अमृत भारत की सनातन धरोवर है यह धरोवर ही रह गयी थी परन्तु वर्तमान समय मे आधुनिकता के चलते अनेको बीमारिया असाध्य रोगो से मानव जीवन ग्रसित हो गया
      जिस प्रकार आवश्यकता आविष्कार की जननी है उसीप्रकार रोगो से बचने का उपाय योग है जिसे पुनः प्रचलन मे लाने का कार्य बाबा रामदेव जी ने किया
      भारत वसुधैव कुटुम्बकम् केवल कहता ही नही अपितु सच्चे दिल से मानता है और इसके लिए हमेशा तत्पर रहता है      
        हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने समस्त मानव जाति को स्वस्थ व तनाव मुक्ति के लिए विश्व को अमृतमयी योग रूपी स्नेह दिया है जिसे विश्व ने 21 जून को योग दिवस मनाकर स्वीकार किया।

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