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Sunday, 29 November 2020

पंजाब के ही किसान संघर्ष पर क्यों

देश की समृद्धि के लिए निरंतर कार्य कर रही मोदी सरकार विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करते हुए नई नीतियों के माध्यम से पहल कर रही है। देश की आजादी के बाद 70 वर्ष से अधिक बीत जाने के बाद भी बहुत ऐसे पहलू हैं जिन पर पिछली सरकारों का ध्यान नहीं पहुंच पाया अथवा यह समझा जाए की इन पहलुओं पर काम नहीं किया गया। 

भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए भारत की उन्नति में किसानों का सर्वाधिक योगदान आवश्यक है। हमारे देश के किसान से देश, समाज और संस्कृति जीवंत है। भारत का किसान भारत की आत्मा है और वह अपने कठिन परिश्रम से पूरे देश के लिए अन्नू उगाता है यूं कहें कि भारत में कृषि से संबंधित अत्याधुनिक उपकरणों का आज भी अभाव है तथा किसानों के उप जाए हुए अन्न की दलाली करने वाले बिचौलिए देश में मालामाल है जबकि अन्नू उपजाने वाले किसान को उसके परिश्रम का उचित मूल्य नहीं मिल पाता है खेती में लागत अधिक लगने के कारण अधिकांश किसानों को जीवन यापन करने में काफी कठिनाइयां आ रही है इसके चलते कांग्रेस के शासनकाल में महाराष्ट्र के कई किसानों ने आत्महत्या तक की थी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अन्नदाताओं की समस्याओं को जड़ से समाप्त करने के लिए बिचौलिए तथा अन्न को खरीदने वालों को लेकर नई नीतियों को बनाया है ताकि किसानों को उनके श्रम का उचित मूल्य निश्चित समय में दिलाया जा सके। वर्तमान समय में प्रधानमंत्री मोदी ने अन्नदाताओं को सम्मान निधि उनके खातों में सीधे देकर एक बहुत ही अच्छा कार्य किया है जिसके कारण वास्तविक गरीब किसानों के अंदर मोदी सरकार की नीतियों को लेकर उत्साह है। 

नई किसान नीति के अंतर्गत देश के अन्नदाताओं को उनके अन्न के लिए भुगतान 3 दिन के अंदर किया जाना निश्चित किया गया है। यदि किसी कारणवश किसानों को उनके अन्न के भुगतान की राशि समय से नहीं मिल पाती है तो ऐसी स्थिति में जिले के एसडीएम कार्यालय में शिकायत करने पर एक माह के अंदर अधिकारी द्वारा निश्चित रूप से भुगतान कराना अनिवार्य होगा। 

वर्तमान समय में पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा इस नीति का विरोध करना यह बताता है कि पंजाब और हरियाणा के ही किसान परेशान हैं अथवा सरकार द्वारा लगाई गई किसान की इस नीति से केवल पंजाब और हरियाणा के किसानों को घाटा हो रहा है अथवा इसका एक और भी कारण है पंजाब में कांग्रेस शासन है और पंजाब का किसान समृद्ध एवं शक्तिशाली है। इस संघर्ष में राजनैतिक रंग भी नजर आ रहा है। 

यदि किसानों को इस नई नीति से असंतोष है तो ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी मांगों को केंद्र सरकार के समक्ष रखने का पूरा अधिकार है। यदि किसानों की सही मांगों को नहीं माना जाता है तो ऐसी स्थिति में धरना, प्रदर्शन, संघर्ष आदि का सहारा लेना चाहिए। अपनी आवाज को संसद में अपने क्षेत्रीय सांसदों द्वारा उठाया जाना चाहिए ऐसा करने से हम अपने देश के नागरिक होने का सम्मान तो पाते ही हैं साथ में अपनी बात कहने का उचित माध्यम भी बन सकते हैं। 







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