Artistic Talent

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Thursday, 26 December 2019

क्या अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में गद्दारी

         भारतीय सेना प्रमुख ने जनता से अपील की, वह शांति बनाए रखें इस वक्तव्य पर ओवैसी क्यों भड़के? यह बात तो देश में शांति बनाए रखने के लिए और लोगों में आपसी सौहार्द बनाए रखने के लिए कही गयी अति आवश्यक बात है तथा दूसरी तरफ सेना की कार्रवाई न करनी पड़े इसके लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
      जनता को भटकाने वाले हिंसक प्रदर्शन कराने वाले ऐसे नेता नहीं हो सकते जो देश के माहौल को खराब करते हैं और यदि सेना प्रमुख शांति के लिए जनता से अपील करते हैं तो इसमे गलत क्या है? जनता से यह अपील न्यायोचित और न्याय संगत भी है इसका विरोध करना देश की अखंडता के प्रति विरोध करने जैसा है हमें समझना होगा, ऐसे लोगों से बचना होगा जो देश की अखंडता के लिए अपने विवादित बयान देते हैं और जनता को फंसाते हैं हिंसक घटनाओं में हिंसक प्रदर्शन में जनता का ही नुकसान होता है और जनता के टैक्स से आए हुए संसाधन जो सरकारी कहलाते हैं उनके साथ आगजनी और तोड़फोड़ होती है कुल मिलाकर सरकारी संपत्तियों के साथ तोड़फोड़ ना हो हमारा नागरिक घायल ना हो उग्र ना हो और देश में शांति बनी रहे इसके लिए जो भी कोई सकारात्मक प्रयास करता है हमें उसका समर्थन करना चाहिए।
           जो लोग जनता को  भड़काते हैं उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि बिना दिमाग के भोले भाले लोग नेता के प्रदर्शनों में अपनी हिंसक क्रियाकलापों से अपना और देश का नुकसान करते हैं आज देश के बड़े-बड़े नेता कहे जाने वाले लोग यदि जनता को भड़काएगे तो यह कहां तक सही है इस पर पुनर्विचार करना होगा आज राहुल ने देश के प्रधानमंत्री के लिए असम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया जोकि नैतिकता का पतन है जो व्यक्ति यह कह रहा है की आर एस एस का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता है इस तरीके से शब्दों को बोलना अपमानजनक है इसका विरोध होना चाहिए देश में अभिव्यक्ति की आजादी जो दी गई है वह इतनी भी आजादी नहीं होनी चाहिए कि देश की मूल भावनाओं को ठेस पहुंचे। देश की एकता और अखंडता को बाधित करें और देश में गद्दारी करने के माहौल को जन्म दे तथा उसे सशक्त करें।
          अभिव्यक्ति की आजादी की परिधि पर कानून बनना चाहिए  क्योंकि आज भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर टुकड़े-टुकड़े गैंग अवार्ड वापसी गैंग और जनता को वोट के लिए भड़काने वाले लोग सामने आ रहे हैं जिसके कारण देश की एक समुुुुदाय की जनता में भ्रम और असंतोष फैल रहा है।
       एकता और अखंडता पर आंच आ रही है आम नागरिक भ्रम में आकर इन नेताओं के भड़काऊ भाषणों के कारण उग्र होकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं दंगा फैला रहे हैं ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी को परिभाषित करना होगा कोई भी अभिव्यक्ति की आजादी जो देश की एकता और अखंडता को देश के स्वाभिमान को देश के सम्मानित प्रधानमंत्री राष्ट्रपति समाज सेवक आदि को सम्मान पूर्वक संबोधित न करना इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। जो बच्चे विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं उनको हिंसक संघर्ष करने की आजादी नहीं होनी चाहिए वह पढ़ रहे हैं अर्थात छात्र अपनी पढ़ाई के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं नीतियों का विरोध कर सकते हैं लेकिन बसों को जलाना यातायात को बाधित करना सरकारी संपत्तियों को नष्ट करना यह करने वाले देश के नागरिक नहीं होते वह दंगाई होते हैं और उन पर शक्ति के साथ निपटना होगा।
       जिन्होंने हिंसक प्रदर्शन किए देश की संपत्ति को क्षति पहुंचाई उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा न जाए उन्हें किसी भी दशा में राहत न दी जाए अन्यथा यह संदेश समाज को विघटन की ओर ले जाएगा समाज को संतुलित और शांत रखने के लिए हमें इन बातों का भी ध्यान रखना होगा कुल मिलाकर अभिव्यक्ति की आजादी पर फिर से हम सभी को विचार करना होगा और हमारी अभिव्यक्ति की आजादी देश को तोड़ने के लिए देश के साथ गद्दारी करने के लिए भ्रम फैलाने के लिए हिंसक प्रदर्शन कराने के लिए ऐसे निजी स्वार्थ को जिससे राजनीतिक लाभ हो और देश का नुकसान हो इन सभी बातों पर प्रतिबंध लगना चाहिए ऐसी आजादी को नहीं देना चाहिए जो आगे चलकर देश और संविधान के लिए घातक हो।
         कश्मीर में आतंकवादियों को पत्थरबाजी से सुरक्षा देने का जो काम पिछले दशकों में चला वह बहुत ही निंदनीय था अर्थात ऐसी आजादी नहीं देनी चाहिए जिससे दंगाइयों को मदद मिले हिंसक प्रदर्शनकारियों को शक्ती मिले और वह देश को तोड़ने में सबल हो। कुल मिलाकर राष्ट्र धर्म को ध्यान में रखते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाना आवश्यक है।https://nyaydhara.page/article/kya-abhivyakti-kee-aajaadee-kee-aad-mein-gaddaaree/pI2GW-.html

Thursday, 19 December 2019

नागरिकता संशोधन बिल पर बवाल क्यों

https://nyaydhara.page/article/naagarikata-sanshodhan-bil-par-bavaal-kyon-/dA5B9Y.html

भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम की रही है भारत ने सभी धर्मों को सम्मान व स्थान दिया है जबकि धर्म के आधार पर इस्लाम ने अपना हिस्सा पा लिया है फिर भी बचे हुए हिस्से में भारत ने इस्लाम को हग दिया है अर्थात धर्म के आधार पर नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि मानकर भारत में धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र का निर्माण किया गया है भारत के पड़ोसी देश वर्तमान में भारत के पड़ोसी देश जिनकी सीमाएं भारत से जुड़ी हैं पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश यह तीनों राष्ट्र यह तीनों देश इस्लामिक देश हैं अर्थात यहां पर रहने वाले मुसलमान बहुसंख्यक हैं और इनका राष्ट्रधर्म इस्लाम धर्म है आजादी के समय भारत ने पाकिस्तान से एक समझौता किया था नेहरू लियाकत समझौता जिसके अंतर्गत पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर धर्म के आधार पर उन पर भेदभाव या अत्याचार नहीं किया जाएगा उन्हें समान नागरिकता का अधिकार दिया जाएगा परंतु नेहरू लियाकत समझौता को पाक ने तोड़ दिया वहां बसे अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हिंदू सिख इसाई जैन पारसी पर धार्मिक आधार पर अत्याचार बहुतायत किए जा रहे हैं धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।
         उनकी लड़कियों को जबरन उठा ले जाना अभी हाल ही में सिख समुदाय की लड़की को उठा ले गए और उसका धर्म परिवर्तन कराया जो संपूर्ण विश्व में देखा इसका विरोध भी सिख समुदाय ने किया ऐसे में यहाँ जो धर्म के आधार पर प्रताड़ित लोग हैं उनकी रक्षा कहां होगी वह कहां जाएंगे इसके उत्तर में वह सभी भारत आना चाहते हैं या कुछ लोग अपनी जान बचाकर भारत आ गए हैं परंतु भारत में उनको नागरिकता अभी तक नहीं दी गई यह विषय मानवता पर आधारित है बंटवारे के पहले भारत अफगानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश यह सभी को मिलाकर अखण्ड भारतवर्ष था अर्थात यहां पर रहने वाले हिंदू सिख इसाई जैन पारसी मुस्लिम सभी यहां के देशवासी थे मुसलमानों ने अपना हिस्सा लेकर अपने अपने इस्लामिक देश बना लिए और उन देशों में रहने वाले मुसलमानों के अतिरिक्त जो भी धर्म के अनुयाई रह रहे हैं वह सभी अल्पसंख्यक हैं उन अल्पसंख्यकों पर धर्म के आधार पर प्रताड़ना देना उन्हें मारना और उनके साथ विभिन्न प्रकार की यातनाए अत्याचार करना उनके अधिकार क्षेत्र मे हो गया ऐसे में वहा के इस समाज को संप्रदाय के प्रताड़ित पीड़ित लोग कहां जाए?
              ऐसे वह सभी लोग अपनी जान बचाकर शरणार्थी के रूप में भारत आते हैं और वह दशकों से यहां पर बिना नागरिकता के रह रहे हैं मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए माननीय नरेंद्र मोदी जी ने उनकी वेदनाओं को समझा और भारत का स्वरूप मानवता पर विश्वास रखने वाला है इसको जीवित रखते हुए उन्होंने सीएबी अर्थात नागरिक संशोधन कानून लाए जिसके द्वारा इन 3 देशों पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रहने वाले जो भी अल्पसंख्यक समुदाय हैं जैसे कि हिंदू सिख इसाई जैन पारसी आदि को भारत में नागरिकता मिल जाएगी जबकि यहां पर रहने वाले सभी धर्मों के लोग जो कि भारत के नागरिक हैं उन पर इसका कोई असर नहीं होगा।
      नागरिकता कानून भारत के मुसलमान पर लागू नहीं होगा जो नागरिकता कानून बना है वह भारत के मुसलमानों पर लागू नहीं होगा अर्थात उन्हें किसी भी प्रकार का कोई खतरा नहीं है उनकी जो नागरिकता है वह बरकरार रहेगी यह केवल उन्हीं के लिए है जो भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं उनको नागरिकता देने का प्रावधान है और कुछ नहीं यह हमको और हमारे देश के हर व्यक्ति को समझ लेना चाहिए परंतु आज देश के कुछ चुनिंदा हिस्सों में इसका विरोध हो रहा है विरोध शांतिपूर्ण तरीके से हो तो बात समझ में आती है क्योंकि हम अपने अधिकारों को हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं यह हमें संवैधानिक अधिकार मिला है परंतु हिंसक प्रदर्शन करना उपद्रव करना तोड़फोड़ करना सरकारी संपत्ति का नुकसान करना बसें जलाना भवनो पर पत्थर चलाना रोड जाम करना यह दंगा का रूप लेना यह सब गलत है ऐसा नहीं करना चाहिए अब सवाल यह उठता है कि ऐसा देश में क्यों किया जा रहा है जिन लोगों ने प्रदर्शन किए उनसे जब पूछा गया तो उन्हें इस कानून की जानकारी नहीं है बस उनको डर है कि हमसे हमारे नागरिक होने का प्रमाण मांगे जाएंगे तब मै नागरिक होने के प्रमाण कहां से दूंगा अर्थात इस समुदाय के लोगों को राजनीतिक लाभ के लिए भड़काया गया है भ्रम में रखा गया है और उग्रता के लिए उकसाया जा रहा है ताकि देश की शांति भंग हो देश का माहौल खराब हो और सरकार जो अच्छे कार्य कर रही है देश को मजबूत करने का जो कार्य हो रहा है उसमें बाधा पहुंचे।
            विदेश में रह रहे लोग इन उपग्रहों को देखें और उसका गलत मैसेज विश्व में जाए अर्थात वर्तमान सरकार को बदनाम करने का यह षड्यंत्र है वहीं पर एक विशेष समुदाय को भड़का कर मूर्ख बनाकर उसको सरकार के प्रति भड़काने  का भी प्रयास है कुछ राजनैतिक पार्टियां अपने वोट के निजी स्वार्थ के चलते समुदाय विशेष को भड़का कर आग में झोंक रही हैं इससे उस संप्रदाय का देश का और देश की संपत्ति का नुकसान होना निश्चित है भड़काऊ भाषण देने वालों को उग्र प्रदर्शन करने वालों को और इस उग्र प्रदर्शन को संरक्षण देने वाले राजनेताओं को आज पूरी जनता देख रही है और इसका उत्तर आने वाले चुनाव में जनता निश्चित रूप से देगी आखिर इतने उग्र प्रदर्शन करना साधारण जनता के बस में नहीं है इसके पीछे सोची समझी रणनीति है इसमें प्रशिक्षित पेशेवर उग्र प्रदर्शन करने वाले वालंटियर का होना तय है क्योंकि जो आज दिल्ली में लखनऊ में आदि जगहों पर ऐसी उग्रता हिंसक प्रदर्शन देखे जा रहे हैं वह कश्मीर में पत्थरबाजी के तरीके को पुनर्जीवित कर रहे हैं जिस प्रकार से आतंकियों को पत्थरबाज संरक्षण देते थे ठीक उसी प्रकार जामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों को प्रदर्शन में आगे किया गया और उसी भीड़ में पीछे से वह प्रशिक्षित कुछ लोग माहौल को बिगाड़ रहे थे अभी जो कल दिल्ली में प्रदर्शन हुआ और हिंसक प्रदर्शन हुआ उस पर आशू गैस के गोले छोड़े गए पुलिस द्वारा तो वहां पर यह देखा गया कि कुछ लोग पूरी तैयारी से थे वह भीगे कंबल लिए हुए थे ताकि आशू गैस छोड़ने के बाद भी वह हिंसक प्रदर्शन कर सकें।
        इस हिंसक प्रदर्शन को विना रुके जो सिस्टेमेटिक तरीके से कर रहे हैं वह प्रशिक्षित दंगा भड़काने के वॉलिंटियर है और उन्हें निश्चित रूप से राजनैतिक प्रोत्साहन मिल रहा है जो कि देश के लिए बहुत ही गलत है और इस पर माननीय गृहमंत्री को पूरी शक्ति के साथ निपटना होगा और एक ऐसा कानून देश में लाना होगा। जो हिंसक प्रदर्शन करते हैं उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जा सके तथा इस हिंसक प्रदर्शन करने वालों के संरक्षण जो दे रहे हैं उन पर भी सख्त कार्रवाई हो।
         इसका एक कानून अब बनाना देश के लिए आवश्यक है ताकि देश में शांति रहे स्थिरता हो और मजबूती देश में आए भारत की जनता को भड़काने वाले राजनेताओं से सजग होना होगा उन्हें कोई भी प्रदर्शन करने के पहले विरोध करने के पहले आने वाले कानून को समझना चाहिए कि यह हमारे पक्ष में है या विपक्ष में जबकि भारत के गृह मंत्री अमित शाह जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह सीएबी कानून जो बनाया गया है वह केवल पड़ोसी 3 देशों में रहने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता देता है यहां पर रहने वाले अल्पसंख्यकों को किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं है उन्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है आज जो कांग्रेस इस बिल का विरोध कर रही है वह 18 दिसंबर 2003 को संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस कानून के लिए बड़ी जोरदारी से पैरवी की थी कि भारत में ऐसा कानून बने अमेंडमेंट हो कि जो पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक हैं उनको भारत में नागरिकता दी जाए 1971 में इंदिरा जी ने भी इसी बात की पैरवी की थी अर्थात यह कोई नया कानून नहीं है पूर्व में भी इस कानून के लिए कांग्रेस ने प्रयास किया था जबकि आज भाजपा ने यह कानून पास करा कर लागू किया है तो उसका यह विरोध कर रहे हैं जो कि गलत है 26 दिसंबर 1947 को महात्मा गांधी ने भी इसी का समर्थन किया था इस कानून के अंतर्गत 31 दिसंबर 2014 के पहले आए हुए 3 देशों के अल्पसंख्यक अर्थात हिन्दू पारसी सिख जैन इसाई आदि को नागरिकता देने का प्रावधान है जबकि यहां के मुसलमानों को इससे कोई लेना-देना नहीं है वह जैसे रह रहे थे वैसे ही रहेंगे।
         विश्व में जो भी धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं उनमें नागरिकता कानून का सख्त नियम है की बाहर से आया हुआ कोई भी व्यक्ति अर्थात घुसपैठिया वहां की नागरिकता नहीं ले सकता है नागरिकता लेने के लिए उनके अपने संविधान है अपना नियम है अमेरिका ब्रिटेन फ्रांस आदमी नागरिकता कानून बहुत ही सख्त है और होना भी चाहिए 2014 के सर्वे में फ्रांस ने इसे  और सख्ती कर दिया है इस कानून मे हर 2 साल में इसपर अमेंडमेंट भी करते हैं जबकि भारत में नागरिकता रजिस्टर अभी तक नहीं बना है आज भारत में नागरिकता रजिस्टर बनाने की आवश्यकता है और इस विषय पर कांग्रेस ने भी पूर्व में इस बात का समर्थन किया था अर्थात भारत को घुसपैठियों से मुक्त कराना उचित होगा क्योंकि यह घुसपैठिए ही आज हो रहे हिंसक प्रदर्शनों में शामिल होने की बात भी प्रकाश में आ रही है।

Tuesday, 12 November 2019

बच्चो को बालदिवस का उपहार मोहन चिर्लेन हास्पिटल के माध्यम से प्रतिदिन निष्पक्ष सेवा को समर्पित पारदर्शिता के साथ इलाज
         कानपुर, किसी भी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण, बच्चो पर आधारित होता है क्योकि आज का बच्चा, देश के कल का, नागरिक होगा। बच्चो मे वांछित स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कार से, देश मे आने वाला कल, साकार होता है। बाल दिवस की सार्थकता राष्ट्र निर्माण मे सहायक है आइये जानते है इसी क्रम मे ऐसे वरिष्ठ बाल रोग विषेशज्ञ से जिनका उद्देश्य बच्चो की सेवा के साथ जीविक है तथा नो प्राफिट नो लास पर 14 वर्षो से नगर व देश के अन्य शहरो के बच्चो की निरन्तर उनकी टीम मोहन चिर्लेन हास्पिटल मे उपचार कर रही है।
   कानपुर रेलवे स्टेशन के पास घण्टाघर पर बच्चो का अस्पताल स्थित होने से यात्रा के दौरान यात्रियो के बच्चो की अचानक तवियत विगडने पर उन्हे अस्पताल इलाज के लिए लाया जाता है ऐसे मे यात्रियो के पास धन का अभाव होना स्वाभाविक है पर बच्चो के शीघ्र उपचार की गम्भीरता को देखते हुए धन के अभाव मे भी डा0 आर एन चौरसिया और उनकी टीम बच्चो का निष्पक्षता से उपचार करती है डा0 चौरसिया का मानना है कि स्वास्थ्य और शिक्षा मजबूत हो तो राष्ट्र के लिए अच्छा सावित हो सकता है स्वाथ्य मेरे खाते मे है इसकी गम्भीरता को समझते हुए सेवा कन्टीन्यू करते रहते है।
     वर्ष1974 से 2004 तक 30 वर्षो मे जो भी अनुभव प्राप्त किया बच्चो की सेवा मे साकार करने का मौका मिला पिता की मृत्यु के बाद पैत्रक सम्पत्ति मुझे मिली। कारोवार,व्यापार के लिए तो अच्छी थी पर अस्पताल खोलने के लिए एक चिनौतीपूर्ण थी। बच्चो की जरूरत पर तुरन्त इलाज मिले जबकि डा0 समय से मिलते है ऐसे मे अभिभावको के लिए समय काटना मुश्किल हो जाता है। बच्चो का कोई ऐसा सेवा केन्द्र हो जिसमे 24 घण्टे सेवा मिले। इसे साकार करने मे गुरू डा0 मैथानी बडे भाई समान डा0 कोहली के सहयोग से बच्चो का अस्पताल 22अगस्त2004 को प्रारम्भ किया 15 वर्ष से वही टीम चल रही है उसके पीछे एक उद्देश्य है इलाज महगा है जिसके जेब मे पैसा नही है  पैसे के अभाव मे इलाज की वजह से कोई बच्चा दम न तोडे  कम खर्च बेहतर इलाज , नो प्राफिट नो लास  हो रहे है


         बालदिवस के आदर्श के रूप मे डा0 आर एन चौरसिया है जो पूरी तरह से बालको के स्वास्थ्य के प्रति समर्पित है इन्हे बच्चे बहोत ही प्रिय है बच्चो से बहोत प्यार से बात करते है इनके पिता की इच्छा थी कि बच्चो के लिए सेवाभाव वाला अस्पताल हो पिता की इच्छा और याद मे समर्पित है।

Thursday, 24 October 2019

जन अपेक्षाओ पर खरे उतरना आवश्यक

https://nyaydhara.page/wB30H2.html 
     प्रजातंत्र का एक ही सूत्र है जन अपेक्षाओ मे खरे उतरना, तभी जनता आपको चुनेगी अन्यथा दूसरे पर अंधा भरोसा कर मतदान कर आएगी। फिर वह चुना हुआ पाँच वर्षो तक कुछ भी करे ऐसा ही 70 वर्षो से होता आ रहा है की जनता को हरियाली दिखाई जाती है मीठे मीठे वादे किए जाते है और इसी के सहारे नेता जीत कर आते है फिर अपने द्वारा किए वादो को भूल जाते है अथवा यू कहे कि उन वादो को वास्तविकता के धरातल पर पूरा नही किया जा सकता है।
    चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र मे कहा है कि बहुमत भूर्खो का होता है इसीकारण प्रजातंत्र सफल नही है। हर विद्वान का अपना अलग मत होता है क्योकि वह भौतिक रूप से उसे समझ सकता है पर जनता वोट तभी देगी जब उसका व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध होगा इतनी अधिक लाखो की संख्या मे जनता को अकेला प्रत्याशी लाभान्वित कैसे कर सकता है? इसके लिए वह बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार करे और उसी के माध्यक से अपनी टीम को लाभ पहुचाए। पाँच वर्ष बाद जब दूसरे की सरकार बने तो पिछले जन प्रतिनिधि के द्वारा किए गये भ्रष्टाचार की जाँच कराए। ऐसे मे नेताजी ही फँसेगे पर नेताजी यह सब जानते है इसलिए वह मजबूत कंथा पहले से ही तलाश लेते है अर्थात मुसीबत पर उनका सारा भ्रष्टाचार घोटाले आदि का उत्तरदायित्व लेने वाले सामने आ जाते है और नेताजी बडी सफाई और चतुराई से बच जाते है।
       जो लोग राष्ट्रवाद की बात करते है वे लोग सभी को अच्छे लगते है पर 70 वर्षो से व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध करने की आदत जनता मे बन गयी है पर यह ईमानदारो के शासन मे सम्भव है ही नही इस कारण जनता फिर से लोभ मे आ कर चाटुकारो को एकबार फिर अपने स्वार्थ के लिए आजमाना चाहती है ऐसे मे वह भूल जाती है कि हमारा स्वार्थ तो सिद्ध हो जाएगा पर यह सम्भव तभी होगा जब कुछ न कुछ गलत होगा इन गलतियो की मात्रा जब अधिक हो जाएगी तो देश की मूल धारणा विघटित होने लगती है जिसके कारण इसके दूरगामी परिणाम होगे उसे हम सभी देश वाशियो को भुगतने पडेगे यह समझ कर भी जनता इसे अनदेखा कर देती है ऐसी स्थिति मे जो सक्षम है वह देश मे रहने की स्थिति समाप्त होने पर, दूसरे देश भाग जाएगे पर आम जनता कहाँ जाएगी? वह सक्षम नही है उसे उसी जन परिथितियों मे रहने के लिए लाचार रहेगी अर्थात जनता सब जनते हुए भी सही व्यक्ति की सरकार को चुनने मे असमर्थ ही है।
   एक उदाहरण के तौर पर हम वर्तमान सरकार के दो फौसलो पर बात करते है मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 तथा 35 ए जम्बू कश्मीर से समाप्त कर दी यह निर्णय  कश्मीर की जनता के विकास और उनके अधिकार के लिए, भारतीय सैनिको के लिए, देश मे शान्ति के लिए, आतंकवाद - अलगाववाद को समाप्त करने के लिए कुल मिला कर राष्ट्रहित के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है इस निर्णय की सम्पूर्ण देश की जनता ने सराहना की है। जनता खुश है इसबीच यदि चुनाव होते है तो जनता भाजपा को ही जिताएगी ऐसा समझना न्याय संगत है पर.. अब सरकार का दूसरा निर्णय जो नए मोटर व्हिकल एक्ट के आने पर जुर्वाना लगभग दस गुना कर दिया गया तथा हेलमेट की अनिवार्यता से सरकार का मानना है कि नियम लागू होने से सडक पर दुर्घटना मे कमी आएगी जनता के जान माल की अधिक रक्षा हो सकेगी। पर जनता इस नियम के लागू होने से असंतुष्ट है उसका मानना है यदि आप टैक्स दस गुना वसूलते हो तो यातायात के लिए गड्डा मुक्त अच्छी और व्यवस्थित रोडे दो पर यह सब ठीक किया नही जगह जगह पुलिस चैकिंग से आम जनता अपराधी बन गयी। हैलमेट लगाकर कर लम्बी यात्रा हाईवे पर तो ठीक है पर घर के आस पास 5 किमी तक जाने मे हैलमेट की अनिवार्यता नही होनी चाहिए।यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि आज के समय मे साइकिल का स्थान टू व्हिलर ने ले लिया है जिसके कारण सब्जी खरीदने से लेकर घर के छोटे बडे सभी कामो मे स्कूटी मोटर साईकिल के अभाव मे काम करना सम्भव नही है इसीलिए इस एक्ट के लागू होने से भारत की अधिकांश जनता प्रभावित हुई है जनता का इस एक्ट के प्रति रोश इतना अधिक है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के निर्णय धारा 370 के हटने का लाभ छिप गया है यू कहे कि धरा का धरा रह गया  कुल मिला कर इसका लाभ भाजपा को चुनाव मे नही मिलने वाला।

      इसीलिए कहता हू कि मोदी सरकार जन अपेक्षाओ को समझे और उनका सही हल जनता को दे जनता से जुडकर जन अपेक्षाओ से लगातार सरलता से सुलझाये। जबकि उच्चपद के चारो ओर अधिकारियो की परत से हटकर जन अपेक्षाओ मे स्वतः की घसपैठ होना भविष्य के निर्माण को सार्थक करता है वही इसकी उपेक्षा, राष्ट्र सेवा प्रधानसेवक रहने मे बाधक दिखाई दे रही है। प्रजातंत्र मे राष्ट्रनिर्माण एक चुनौती से अधिक कुछ नही है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य करने के लिए देश के प्रवुद्ध नागरिक मोदी जी का आभार व्यक्त करते है। जबकि भोली जनता इन सबसे अनभिज्ञ है।


Wednesday, 2 October 2019

जयंती शास्त्री और बापू की

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की आज 150 वीं जयंती भारत मे बडी धूम धाम से मनायी जा रही है जिसमे देश के हर जिले के जिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक सम्मलित है कहा जाता है कि बापू ने अहिंसा से देश को आजादी दिलायी पर अहिंसा से कैसे यह सम्भव है? यह बात आज के परिवेश मे मेरी समझ से परे है क्योकि अंग्रेजो का शासन पूरे देश मे था उनकी क्रूरता और अत्याचार से भारतीय लोग त्राहि त्राहि कर गुलामी की जंजीरो से जकडे हुए थे पर वही देश के गद्दारो के मजे थे ऐसे मे यदि कोई हाथ जोडकर अंग्रेजो से कहे कि आप लोग हमारा देश छोड कर चले जाओ भारत को आजद कर दो तो क्या यह सम्भाव था अथवा है आप ही बताए?
  आज एक ऐसे महान देशभक्त चरित्रवान सत्यनिष्ठ तथा देश के द्वतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 115 वीं जयंती है पर इनके योगदान को आज भी वो सम्मान नही मिल सका जिसके वह पूर्ण अधिकारी थे। पाकिस्तान से वर्ष 1965 मे हुए युद्ध मे लाल बहादुर शास्त्री की अहम भूमिका थी भारतीय सेना विजयी हुई और पाक का काफी हिस्सा भारत ने जीत लिया अब क्या था चारो ओर से भारत पर दबाव पडने लगा। तासकंद समझौता मे भारत से शास्त्री जी को आमंत्रित किया गया जिसमे भारत द्वारा युद्ध मे जीती पाक की जमीन लौटाये जाने पर हस्ताक्षर हुए। शास्त्री जी के साथ उनका सेवक रामनाथ भी गया था शास्त्री जी रामनाथ का बना खाते थे परन्तु उस दिन शास्त्री जी के सेवक को खाना बनाने के लिए मना कर दिया गया और शास्त्री जी के लिए सोवियत संघ मे स्थित भारत के दूतावास के राजदूत पी एन कौल के रसोइये चाँद मोहम्मद ने खाना वनाया था जिसे खाने के बाद शास्त्री जी का स्वास्थ्य बिगडा और उनकी वही कुछ देर मे रात को मौत हो गयी।
     भारत के प्रधानमंत्री की विदेश मे रात के खाने के बाद हुई मौत बहोत बडी घटना है मौत के कारणो की पडताल नही की गयी, पोस्टमार्टम भी नही कराया गया, क्यो? आज तक यह रहस्य ही बना हुआ है। क्या खाने मे जहर मिलाया गया था? यह षडयंत्र किसने रचा? शास्त्री जी की मौत से किसको लाभ हुआ? सभी प्रश्न, आज भी जीवित है। जिस शख्स ने 1965 में पाक से युद्ध के दौरान खाना भी छोड़ दिया था और वेतन भी नही लिया अपनी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी के मिसाल रहे, जिनका कार्यकाल अद्वितीय रहा! देश को 'जय जवान, जय किसान' का मंत्र देने वाले श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती पर उन्हें मेरा नमन।

Wednesday, 25 September 2019

भारत का राष्ट्र पिता

  अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को भारत का राष्ट्र पिता कह कर जो सम्मान दिया वह निश्चित ही सराहनीय है ऐसे समय पर, जहाँ विश्व मे भारत का डण्का बज रहा है हर भारतीय को गर्व की अनुभूति हो रही है वही देश कुछ विपक्षी इस पर ऐसी बयान बाजी कर रहे है जैसे वह इससे बहोत दुखी है और हताहत भी।
  जिसकी कार्य शैली मे देश के सभी को ले कर चलने का पौरुष है जो सवाव सौ करोण जनता के हितो के लिए काम करता है जिसका नारा ही सबका साथ और सबका विश्वास  है अर्थात भारत के लिए पिता तुल्य कार्य करना स्वतः भारत के राष्ट्र पिता होने को प्रमाणित करता है। ऐसे मे यदि अमरीका या कोई और देश के प्रमुख द्वारा मोदी जी को भारत देश के पिता की उपाधि सत्य और सटीक है।इसमे कुछ भी असामान्य नही है।जो पिता का कर्तव्य निभाएगा वही पिता कहलायेगा।
  भारत को जो जोडने के लिए, विश्व मे सम्मान दिलाने के लिए, देश की सुरक्षा और सैन्य क्षमता सुद्रण करने के लिए, भ्रष्टाचार को शीर्ष स्तर पर बिना किसी दबाव के मिटाने के लिए, गरीबो को उनके (जीने, रहने, स्वास्थ्य सेवाओ) अधिकार को बिना किसी भेद भाव दिलाने के लिए प्रतिदिन बिना रुके जनता की प्रधान सेवक के रुप मे पूर्ण सेवा भाव से कार्य कर रहा है जिसने देश के लिए घर छोडा, परिवार छोडा, अर्थात नरेन्द्र मोदी जी भारत के राष्ट्र पिता हुए । जबकि ऐसा व्यक्ति कैसे हो सकता है राष्ट्र पिता ? जो धर्म के आधार पर राष्ट्र के विभाज पर सहायक हुआ हो? जिसके कारण देश की एकता और अखण्डता पर आघात पहुचा हो?


Friday, 20 September 2019

वास्तविक स्वरूप मे है जीडीपी

September 19, 2019 
   भारतवर्ष विश्व का सबसे बडा बाजार है और यहा की जनसंख्या सवावसौ करोड के पार है इस कारण यहा की अर्थव्यवस्था का सम्बन्ध सीधे तौर पर विश्व से है आजादी के बाद देश मे सबसे बडा कांग्रेस का शासन काल रहा है इस कारण यहाँ के विकास से लेकर आतंकवाद भ्रष्टाचार के फलने फूलने का श्रेय भी कांग्रेस को ही जाता है।
महान अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह की सरकार में, कहा जाता है कि लालू की लड़की मीसा दिल्ली में एक ही कमरे में 21 कंपनी चलाती थी। सिर्फ कागजों पर 6000 करोड़ की मालकिन बन गई। तब देश में अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत थी, अब वो मोदी सरकार ने बंद करा दिया तो मंदी आ गई?
   जब मनमोहन सिंह जी ने अटलजी से देश का चार्ज लिया, तब GDP 8.4 %थी और जब उसने चार्ज छोड़ा तब GDP 4.2% ,क्यो रह गयी आखिर महान अर्थशास्त्री थे फिरभी ! चीन की सीमा से सटा अपना सिक्किम, जहाँ कि कारण के चलते ढंग की सड़कें कांग्रेस नहीं बनवायी मोदीजी ने आवश्ता समझी और प्रथमिकता देते हुए वहां एयरपोर्ट बनवा दिया।
   GDP पर हंगामा खडा करने वाले बन्धुओं पिछले 3 महीने से देश के 65% हिस्से में बाढ़ की स्थिति थी ऐसे मे GDP घटेगी, बढ़ेगी नहीं ! पूरी दुनिया ये देखकर हैरान है कि विश्व महाशक्ति चीन से हांगकांग नहीं संभल रहा और भारत के कश्मीर में शांति है किस किस को याद है?
जब मनमोहन सिंह ने एक साधु के कहने पर क़ि यहां 1000 टन सोना दबा हुआ है, खुदवाना शुरू कर दिया था ?
   जिस धारा 370 के कारण SC का आदेश कश्मीर में लागू नहीं होता था उसी धारा को बहाल करने की याचिका SC ने स्वीकार कर ली है न, गजब न्याय प्रक्रिया? GDP गिरने को लेकर ज्यादा चिंता न करें, जिसने 72 साल पुरानी बीमारी कश्मीर कडी मेहनत और सबके सहयोग सहमति से ठीक किया भरोसा रखिए GDP भी संभल जाएगी क्योकि उसकी नीयत साफ है। वो चोरों को भ्रष्टाचारियो को उजागर कर शीघ्र विना किसी बाधा के दंडित करने के लिए प्रयास रत है। चिंतित की अब बात नही। काली कमाई बंद हो जाने से लोगों की क्रय शक्ति घटी है। इसी परिवर्तन को अर्थशास्त्र की भाषा में आर्थिक मंदी कहते हैं।
   ऐस हमारा मानना है कि देश केवल बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है, देश का ट्रांसफॉरमेशन हो रहा है। यह ईमानदार, पारदर्शी व्यवस्था को अपना रहा है। काले धन की पोषित अर्थव्यवस्था से देश नये भारत के निर्माण की ओर अग्रसर है। थोड़ा सा कंपन स्वाभाविक है और ये थोड़ा सा कंपन ही अपने आप में दृढ़ अर्थव्यवस्था की आहट का द्योतक है।