Artistic Talent

Artistic Talent
Artistic Talent

Sunday, 14 June 2020

सुशांत की मौत क्या कहती है

मुम्बई, रविवार। फिल्म युवा अभिनेता 34 वर्ष के सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या करने पर फिल्म जगत स्तब्ध सा हो गया है बॉलीवुड में अपनी पहचान बना चुके पटना के रहने वाले सुशांत बांद्रा के एक फ्लैट की छठी मंजिल मे रहते थे। 

इस अपार्टमेंट में सुशांत के  6 वर्ष पुराने मित्र नीरज 11मई 2019 से रह रहे थे तथा अन्य स्टाफ के लोग भी उसी अपार्टमेंट में रहते थे आज सुबह 9:30 बजे सुशांत ने अपनी बहन से बात की फिर अपने मित्र महेश कृष्णा शेट्टी से बात की इसके बाद  लगभग 10:00 बजे बाहर आए और जूस लेकर अपने कमरे में चले गए 2 घंटे तक कमरे से ना निकलने तथा स्टाफ द्वारा  खाना बनाने के लिए पूछने पर उत्तर न देना दरवाजा न खोलना खुलना  मोबाइल ना उठाना आदि से आशंकित उनके स्टाफ ने में जवाब न देना पर उनके स्टाफ ने  दरवाजा खोलना चाहा  लेकिन अंदर से लॉक होने के कारण  चाबी वाले को बुला कर  दरवाजा खोला गया जहां पर  सुशांत  सिंह  एक हरे कपड़े से फांसी के फंदे  पर लटके थे। 

सूत्रों के अनुसार सुशांत  पिछले 6 माह से  डिप्रेशन में थे  जिसका की इलाज  चल रहा था  इसलिए  संबंधित डॉक्टर से  पुलिस द्वारा पूछताछ की जा रही है होनहार अभिनेता सुशांत का जीवन लॉक डाउन होने के कारण एक कमरे में अकेले सिमटकर रह गया था जबकि डिप्रेशन के मरीजों को अकेले ना रहने की  डॉक्टर की पहली सलाह होती है सुशांत सिंह  इंजीनियर बनने के लिए दिल्ली में पढ़ाई कर रहे थे  पढ़ाई को बीच में छोड़कर  मुम्बई गए जहां उन्हें नाम और पैसा  दोनों ही मिला  और उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत  योग्यता से  फिल्मी दुनिया में  अपना  कम समय में  अपना अच्छा स्थान बना लिया था  आखिर कौन सी वजह थी  जिसके कारण  उन्होंने आत्महत्या की  यह  प्रश्न चिन्ह है  क्योंकि कैरियर संबंधी उनकी  कोई टेंशन तो नहीं थी इस घटना से  फिल्म अभिनेत्री  दिव्या भारती की  घटना की याद दिलाती है नवंबर में शादी होने वाली थी

Wednesday, 10 June 2020

ऑनलाइन पढ़ाई का सच

विश्व में वैश्विक महामारी कोरोना के जन्म लेने के बाद मानव जाति की जीवन शैली में बड़ा परिवर्तन हुआ है कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए वर्तमान में कोई वैक्सीन या दवा आदि उपलब्ध नहीं है ऐसी स्थिति में इस बीमारी का उपाय एकमात्र समाज से परस्पर दूरी बनाकर रखना है इस कारण मनुष्य की सामाजिक गतिविधियां स्तब्ध हो गई है कोरोना का संक्रमण बच्चों, बूढ़ो और बीमार लोगों में अधिक तेजी से फैलता है इस कारण बच्चों के स्कूलों को बंद कर दिया गया है।
बच्चों के स्कूलों को बंद करने के बाद उनकी पढ़ाई कैसे हो इसका एकमात्र विकल्प ऑनलाइन पढ़ाई है इसी को देखते हुए शिक्षा जगत में नई विधा का जन्म हुआ अब बच्चों को अपने घरों में ऐप के माध्यम से स्कूल के टीचरों द्वारा कक्षाओं का संचालन हो रहा है बच्चों की ऑनलाइन क्लास में उनकी उपस्थिति से लेकर सभी विषयों की पढ़ाई सुचारू रूप से विद्यालय द्वारा चलाई जा रही है यह प्रयोग नया है इसलिए इसमें विभिन्न प्रकार की कठिनाइयां आना स्वाभाविक है।

आध्यापकों द्वारा ऑनलाइन कक्षा में पढ़ाई कराना एक चुनौती पूर्ण कार्य है जहां पर इसमें अध्यापकों को अत्यधिक श्रम करना पड़ रहा है वहीं पर बच्चे मोबाइल लेकर अपनी कक्षा को अटेंड करते हैं परंतु कुछ बच्चे ऑनलाइन कक्षा से आउट हो जाते हैं और वह मोबाइल गेम खेलने लगते हैं ऐसी स्थिति में बच्चों के घर वाले यह समझते हैं कि हमारा बच्चा ऑनलाइन क्लास से जुड़ कर पढ़ाई कर रहा है जबकि नटखट बच्चे इस अवसर को मोबाइल खेलने का अच्छा अवसर बनाकर भरपूर मोबाइल गेम खेलते हैं और ऑनलाइन हो रही पढ़ाई मे अनुपस्थित हो रहे है।

अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चे की ऑनलाइन पढ़ाई के समय बच्चों पर ध्यान रखें कि उनका बच्चा उस समय मोबाइल पर गेम न खेलें। स्कूल द्वारा चलाई जा रही ऑनलाइन कक्षा में उपस्थित होकर पढ़ाई करें और बताए हुए होमवर्क आदि को नोट कर अपने सत्र की नियमित पढ़ाई मे लगे रहे ताकि उनका यह सत्र कोरोना के कारण बाधित ना हो।
ऑनलाइन क्लासेस चलने पर भौतिक रूप से छात्र, स्कूल का स्टाफ आदि स्कूल में उपस्थित नहीं होता है इस कारण स्कूल के रखरखाव और वहां की सुविधा आदि से संबंधित शुल्कों को छात्रों के शिक्षण शुल्क से हटा देना चाहिए ऐसा न्याय धारा का मानना है ताकि अभिभावकों पर लाॅक डाउन के बाद अतिरिक्त बोझ न पड़े तथा बच्चों की पढ़ाई का सत्र शून्य ना हो विद्यालयों को यह चाहिए कि वह शिक्षण शुल्क ले और शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य शुल्को पर विचार करें जो शुल्क हटाए जा सकते हैं उन्हें हटा देना चाहिए।

क्योंकि विद्यालय का उद्देश्य धन कमाना नहीं अपितु देश के बच्चों को ज्ञान और संस्कार देना है इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा।
ऑनलाइन पढ़ा रहे अध्यापकों पर अत्यधिक मात्रा में मानसिक और शारीरिक दोनों ही श्रम पड़ता हैं क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाने की विदा का जन्म अभी कोरोना काल में ही हुआ है इस कारण अनेकों कठिनाइयां आ रही हैं फोन पर सभी छात्रों को कॉल करना उन्हें वीडियो ऐप में जोड़ने के लिए लिंक भेजना तथा ऑनलाइन क्लासेज के शेड्यूल को बनाना और उसको पढ़ाना इसी के साथ बच्चों के पाठ्यक्रम का भी ध्यान रखना और जो बच्चे उपस्थित हुए हैं उनकी उपस्थिति की सूचना विद्यालय को नियमित रूप से देना।

पढ़ाए गए पाठ्यक्रम के विषय में विद्यालय को सूचित करना ऑनलाइन कक्षा को बच्चों के लिए रोचक बनाए रखना ताकि बच्चे जुड़े रहें और पढ़ाई करें। इसके उपरांत विद्यालय द्वारा मीटिंग को ऑनलाइन अटेंड करना और अनेकों अनेक सुबह से शाम तक फोन करना कुल मिलाकर ऑनलाइन पढ़ाने वाले अध्यापकों का जीवन मोबाइल कॉलिंग ऑनलाइन बनकर रह गया है ऐसे में इनकी मेहनत को देखते हुए इन्हें अतिरिक्त पारिश्रमिक दिया जाना आपेक्षिक होगा।

परंतु इतनी अत्याधिक कठिन परिश्रम करने के बाद भी अध्यापकों को अतिरिक्त पारिश्रमिक तो दूर उनका प्रतिमाह का पारिश्रमिक यदि समय से मिल जाए तो यह बहुत बड़ी बात होगी वैसे भी प्राइवेट विद्यालयों द्वारा अध्यापकों को पारिश्रमिक सरकारी मानकों से भी कम दिया जाता है यह बात सभी को पता है इस समस्या के समाधान के लिए सरकार को आगे आना होगा नियमों को कड़ाई से पालन कराना होगा तथा इस विषय पर समय-समय पर निरीक्षण भी करना होगा ताकि देश का भविष्य जो कि आज का छात्र है उसे शिक्षा और संस्कार ठीक ढंग से मिल सके।