Artistic Talent

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Tuesday, 12 November 2019

बच्चो को बालदिवस का उपहार मोहन चिर्लेन हास्पिटल के माध्यम से प्रतिदिन निष्पक्ष सेवा को समर्पित पारदर्शिता के साथ इलाज
         कानपुर, किसी भी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण, बच्चो पर आधारित होता है क्योकि आज का बच्चा, देश के कल का, नागरिक होगा। बच्चो मे वांछित स्वास्थ्य, शिक्षा और संस्कार से, देश मे आने वाला कल, साकार होता है। बाल दिवस की सार्थकता राष्ट्र निर्माण मे सहायक है आइये जानते है इसी क्रम मे ऐसे वरिष्ठ बाल रोग विषेशज्ञ से जिनका उद्देश्य बच्चो की सेवा के साथ जीविक है तथा नो प्राफिट नो लास पर 14 वर्षो से नगर व देश के अन्य शहरो के बच्चो की निरन्तर उनकी टीम मोहन चिर्लेन हास्पिटल मे उपचार कर रही है।
   कानपुर रेलवे स्टेशन के पास घण्टाघर पर बच्चो का अस्पताल स्थित होने से यात्रा के दौरान यात्रियो के बच्चो की अचानक तवियत विगडने पर उन्हे अस्पताल इलाज के लिए लाया जाता है ऐसे मे यात्रियो के पास धन का अभाव होना स्वाभाविक है पर बच्चो के शीघ्र उपचार की गम्भीरता को देखते हुए धन के अभाव मे भी डा0 आर एन चौरसिया और उनकी टीम बच्चो का निष्पक्षता से उपचार करती है डा0 चौरसिया का मानना है कि स्वास्थ्य और शिक्षा मजबूत हो तो राष्ट्र के लिए अच्छा सावित हो सकता है स्वाथ्य मेरे खाते मे है इसकी गम्भीरता को समझते हुए सेवा कन्टीन्यू करते रहते है।
     वर्ष1974 से 2004 तक 30 वर्षो मे जो भी अनुभव प्राप्त किया बच्चो की सेवा मे साकार करने का मौका मिला पिता की मृत्यु के बाद पैत्रक सम्पत्ति मुझे मिली। कारोवार,व्यापार के लिए तो अच्छी थी पर अस्पताल खोलने के लिए एक चिनौतीपूर्ण थी। बच्चो की जरूरत पर तुरन्त इलाज मिले जबकि डा0 समय से मिलते है ऐसे मे अभिभावको के लिए समय काटना मुश्किल हो जाता है। बच्चो का कोई ऐसा सेवा केन्द्र हो जिसमे 24 घण्टे सेवा मिले। इसे साकार करने मे गुरू डा0 मैथानी बडे भाई समान डा0 कोहली के सहयोग से बच्चो का अस्पताल 22अगस्त2004 को प्रारम्भ किया 15 वर्ष से वही टीम चल रही है उसके पीछे एक उद्देश्य है इलाज महगा है जिसके जेब मे पैसा नही है  पैसे के अभाव मे इलाज की वजह से कोई बच्चा दम न तोडे  कम खर्च बेहतर इलाज , नो प्राफिट नो लास  हो रहे है


         बालदिवस के आदर्श के रूप मे डा0 आर एन चौरसिया है जो पूरी तरह से बालको के स्वास्थ्य के प्रति समर्पित है इन्हे बच्चे बहोत ही प्रिय है बच्चो से बहोत प्यार से बात करते है इनके पिता की इच्छा थी कि बच्चो के लिए सेवाभाव वाला अस्पताल हो पिता की इच्छा और याद मे समर्पित है।