Thursday, 24 October 2019

जन अपेक्षाओ पर खरे उतरना आवश्यक

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     प्रजातंत्र का एक ही सूत्र है जन अपेक्षाओ मे खरे उतरना, तभी जनता आपको चुनेगी अन्यथा दूसरे पर अंधा भरोसा कर मतदान कर आएगी। फिर वह चुना हुआ पाँच वर्षो तक कुछ भी करे ऐसा ही 70 वर्षो से होता आ रहा है की जनता को हरियाली दिखाई जाती है मीठे मीठे वादे किए जाते है और इसी के सहारे नेता जीत कर आते है फिर अपने द्वारा किए वादो को भूल जाते है अथवा यू कहे कि उन वादो को वास्तविकता के धरातल पर पूरा नही किया जा सकता है।
    चाणक्य ने अपने अर्थशास्त्र मे कहा है कि बहुमत भूर्खो का होता है इसीकारण प्रजातंत्र सफल नही है। हर विद्वान का अपना अलग मत होता है क्योकि वह भौतिक रूप से उसे समझ सकता है पर जनता वोट तभी देगी जब उसका व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध होगा इतनी अधिक लाखो की संख्या मे जनता को अकेला प्रत्याशी लाभान्वित कैसे कर सकता है? इसके लिए वह बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार करे और उसी के माध्यक से अपनी टीम को लाभ पहुचाए। पाँच वर्ष बाद जब दूसरे की सरकार बने तो पिछले जन प्रतिनिधि के द्वारा किए गये भ्रष्टाचार की जाँच कराए। ऐसे मे नेताजी ही फँसेगे पर नेताजी यह सब जानते है इसलिए वह मजबूत कंथा पहले से ही तलाश लेते है अर्थात मुसीबत पर उनका सारा भ्रष्टाचार घोटाले आदि का उत्तरदायित्व लेने वाले सामने आ जाते है और नेताजी बडी सफाई और चतुराई से बच जाते है।
       जो लोग राष्ट्रवाद की बात करते है वे लोग सभी को अच्छे लगते है पर 70 वर्षो से व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्ध करने की आदत जनता मे बन गयी है पर यह ईमानदारो के शासन मे सम्भव है ही नही इस कारण जनता फिर से लोभ मे आ कर चाटुकारो को एकबार फिर अपने स्वार्थ के लिए आजमाना चाहती है ऐसे मे वह भूल जाती है कि हमारा स्वार्थ तो सिद्ध हो जाएगा पर यह सम्भव तभी होगा जब कुछ न कुछ गलत होगा इन गलतियो की मात्रा जब अधिक हो जाएगी तो देश की मूल धारणा विघटित होने लगती है जिसके कारण इसके दूरगामी परिणाम होगे उसे हम सभी देश वाशियो को भुगतने पडेगे यह समझ कर भी जनता इसे अनदेखा कर देती है ऐसी स्थिति मे जो सक्षम है वह देश मे रहने की स्थिति समाप्त होने पर, दूसरे देश भाग जाएगे पर आम जनता कहाँ जाएगी? वह सक्षम नही है उसे उसी जन परिथितियों मे रहने के लिए लाचार रहेगी अर्थात जनता सब जनते हुए भी सही व्यक्ति की सरकार को चुनने मे असमर्थ ही है।
   एक उदाहरण के तौर पर हम वर्तमान सरकार के दो फौसलो पर बात करते है मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 तथा 35 ए जम्बू कश्मीर से समाप्त कर दी यह निर्णय  कश्मीर की जनता के विकास और उनके अधिकार के लिए, भारतीय सैनिको के लिए, देश मे शान्ति के लिए, आतंकवाद - अलगाववाद को समाप्त करने के लिए कुल मिला कर राष्ट्रहित के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है इस निर्णय की सम्पूर्ण देश की जनता ने सराहना की है। जनता खुश है इसबीच यदि चुनाव होते है तो जनता भाजपा को ही जिताएगी ऐसा समझना न्याय संगत है पर.. अब सरकार का दूसरा निर्णय जो नए मोटर व्हिकल एक्ट के आने पर जुर्वाना लगभग दस गुना कर दिया गया तथा हेलमेट की अनिवार्यता से सरकार का मानना है कि नियम लागू होने से सडक पर दुर्घटना मे कमी आएगी जनता के जान माल की अधिक रक्षा हो सकेगी। पर जनता इस नियम के लागू होने से असंतुष्ट है उसका मानना है यदि आप टैक्स दस गुना वसूलते हो तो यातायात के लिए गड्डा मुक्त अच्छी और व्यवस्थित रोडे दो पर यह सब ठीक किया नही जगह जगह पुलिस चैकिंग से आम जनता अपराधी बन गयी। हैलमेट लगाकर कर लम्बी यात्रा हाईवे पर तो ठीक है पर घर के आस पास 5 किमी तक जाने मे हैलमेट की अनिवार्यता नही होनी चाहिए।यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि आज के समय मे साइकिल का स्थान टू व्हिलर ने ले लिया है जिसके कारण सब्जी खरीदने से लेकर घर के छोटे बडे सभी कामो मे स्कूटी मोटर साईकिल के अभाव मे काम करना सम्भव नही है इसीलिए इस एक्ट के लागू होने से भारत की अधिकांश जनता प्रभावित हुई है जनता का इस एक्ट के प्रति रोश इतना अधिक है कि राष्ट्रवादी विचारधारा के निर्णय धारा 370 के हटने का लाभ छिप गया है यू कहे कि धरा का धरा रह गया  कुल मिला कर इसका लाभ भाजपा को चुनाव मे नही मिलने वाला।

      इसीलिए कहता हू कि मोदी सरकार जन अपेक्षाओ को समझे और उनका सही हल जनता को दे जनता से जुडकर जन अपेक्षाओ से लगातार सरलता से सुलझाये। जबकि उच्चपद के चारो ओर अधिकारियो की परत से हटकर जन अपेक्षाओ मे स्वतः की घसपैठ होना भविष्य के निर्माण को सार्थक करता है वही इसकी उपेक्षा, राष्ट्र सेवा प्रधानसेवक रहने मे बाधक दिखाई दे रही है। प्रजातंत्र मे राष्ट्रनिर्माण एक चुनौती से अधिक कुछ नही है। इस चुनौतीपूर्ण कार्य करने के लिए देश के प्रवुद्ध नागरिक मोदी जी का आभार व्यक्त करते है। जबकि भोली जनता इन सबसे अनभिज्ञ है।


Wednesday, 2 October 2019

जयंती शास्त्री और बापू की

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की आज 150 वीं जयंती भारत मे बडी धूम धाम से मनायी जा रही है जिसमे देश के हर जिले के जिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक सम्मलित है कहा जाता है कि बापू ने अहिंसा से देश को आजादी दिलायी पर अहिंसा से कैसे यह सम्भव है? यह बात आज के परिवेश मे मेरी समझ से परे है क्योकि अंग्रेजो का शासन पूरे देश मे था उनकी क्रूरता और अत्याचार से भारतीय लोग त्राहि त्राहि कर गुलामी की जंजीरो से जकडे हुए थे पर वही देश के गद्दारो के मजे थे ऐसे मे यदि कोई हाथ जोडकर अंग्रेजो से कहे कि आप लोग हमारा देश छोड कर चले जाओ भारत को आजद कर दो तो क्या यह सम्भाव था अथवा है आप ही बताए?
  आज एक ऐसे महान देशभक्त चरित्रवान सत्यनिष्ठ तथा देश के द्वतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 115 वीं जयंती है पर इनके योगदान को आज भी वो सम्मान नही मिल सका जिसके वह पूर्ण अधिकारी थे। पाकिस्तान से वर्ष 1965 मे हुए युद्ध मे लाल बहादुर शास्त्री की अहम भूमिका थी भारतीय सेना विजयी हुई और पाक का काफी हिस्सा भारत ने जीत लिया अब क्या था चारो ओर से भारत पर दबाव पडने लगा। तासकंद समझौता मे भारत से शास्त्री जी को आमंत्रित किया गया जिसमे भारत द्वारा युद्ध मे जीती पाक की जमीन लौटाये जाने पर हस्ताक्षर हुए। शास्त्री जी के साथ उनका सेवक रामनाथ भी गया था शास्त्री जी रामनाथ का बना खाते थे परन्तु उस दिन शास्त्री जी के सेवक को खाना बनाने के लिए मना कर दिया गया और शास्त्री जी के लिए सोवियत संघ मे स्थित भारत के दूतावास के राजदूत पी एन कौल के रसोइये चाँद मोहम्मद ने खाना वनाया था जिसे खाने के बाद शास्त्री जी का स्वास्थ्य बिगडा और उनकी वही कुछ देर मे रात को मौत हो गयी।
     भारत के प्रधानमंत्री की विदेश मे रात के खाने के बाद हुई मौत बहोत बडी घटना है मौत के कारणो की पडताल नही की गयी, पोस्टमार्टम भी नही कराया गया, क्यो? आज तक यह रहस्य ही बना हुआ है। क्या खाने मे जहर मिलाया गया था? यह षडयंत्र किसने रचा? शास्त्री जी की मौत से किसको लाभ हुआ? सभी प्रश्न, आज भी जीवित है। जिस शख्स ने 1965 में पाक से युद्ध के दौरान खाना भी छोड़ दिया था और वेतन भी नही लिया अपनी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी के मिसाल रहे, जिनका कार्यकाल अद्वितीय रहा! देश को 'जय जवान, जय किसान' का मंत्र देने वाले श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती पर उन्हें मेरा नमन।